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Pratham Singh in Physics
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विद्युत धारिता से आप क्या समझते हैं

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Rishwa
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किसी चालक की वैद्युत धारिता (कैपेसिटी या कैपेसिटेंस), उस चालक की वैद्युत आवेश का संग्रहण करने की क्षमता की माप होती है। जब किसी चालक को आवेश दिया जाता है तो उसका वैद्युत विभव आवेश के अनुपात में बढता जाता है। यदि किसी चालक को q आवेश देने पर उसके विभव में V वृद्धि हो, तो

q अनुक्रमानुपाती V

q = CV

जहाँ C एक नियतांक है जिसका मान चालक के आकार, समीपवर्ती माध्यम तथा पास में अन्य चालकोँ की उपस्थिति पर निर्भर करता है। इस नियतांक को 'वैद्युत धारिता' कहते हैँ। ऊपर के समीकरण q = CV से

C = q / V

इस प्रकार, किसी चालक की वैद्युत धारिता चालक को दिये गये आवेश तथा चालक के विभव में होने वाली व्रिद्धि के अनुपात को कहते हैँ। धारिता का SI मात्रक कूलाम/वोल्ट है। इसे 'फैरड' कहते है तथा इसे F से निरुपित करते हैं। इस प्रकार,

1 फैरड =1 कूलाम/वोल्ट

धारिता का emu में मात्रक ‛स्टेट फैरड’ होता है।

1 फैरड =9×1011 स्टेट फैरड

1 माइक्रोफैरड = 10-6 फैरड

1 नैनोफैरड=10-9 फैरड

1 पीकोफैरड=10-12 फैरड

इसी प्रकार C=q/v से-

यदि v=1वोल्ट, C=q तो किसी चालक की वैद्युत धारिता चालक को दी गयी आवेश की वह मात्रा है जो चालक के विभव में एक वोल्ट का परिवर्तन कर दे।

वैधुत धारिता एक अदिश राशि है। वैधुत धारिता का मान सदैव धनात्मक होता है। क्योकि चालक पर आवेश तथा इसके कारण विभव में परिवर्तन के चिन्ह सामान होते हैं।

धारिता का विमीय सूत्र - [T×T×T×T×A×A/M×L×L] है। चालक के माध्यम का परावैद्युतांक बढ़ने से धारिता भी बढती है।

किसी चालक की धारिता निम्न तथ्यों पर निर्भर नहीं करती है-

  • (१) चालक के आवेश पर - q का मान बढ़ने पर v का मान भी उसी अनुपात में बढ़ता है। अतः धारिता नियत रहती है।
  • (२) चालक के पदार्थ पर

नोट - यदि सूत्र c=q/v से v=0 तो c=∞ अतः धारिता अनन्त होगी। चूँकि पृथ्वी का विभव 0 होता है। तो पृथ्वी की धारिता अनन्त होगी। अतः प्रथ्वी अनन्त आवेश संगृहीत कर सकती है।

इसी प्रकार जब हम किसी चालक को आवेश देते है तो चालक के विभव का आंकिक मान बढ़ता है। यदि चालक को आवेश लगातार देते जाये तो चालक स्थतिज ऊर्जा का संचय नहीं कर पता अर्थात वैधुत रोधन क्षमता समाप्त हो जाती है। तथा आवेश लीक होने लगता है। इस स्थिति में विभव का मान अधिकतम होता है। ओर इस प्रकार चालक द्वारा आवेश की एक निश्चित मात्रा का संग्रह ही संभव है।

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