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गुरुत्वाकर्षण बल से आप क्या समझते हैं

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 गुरुत्वाकर्षण बल

न्यूटन के अनुसार, ब्रह्माण्ड में प्रत्येक द्रव्य-कण दूसरे द्रव्य-कण को अपनी ओर आकर्षित करता है तो इन कणों के बीच एक आकर्षण बल लगता है। यही आकर्षण बल गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है।
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न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण बल के नियमानुसार, किन्हीं दो पिण्डों के बीच कार्यरत् गुरुत्वाकर्षण बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह एक सार्वत्रिक बल है।
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जहाँ m1 व m2 = पिण्डों के द्रव्यमान तथा r = द्रव्यमानों के बीच की दूरी गुरुत्वाकर्षण बलों के गुण निम्नलिखित हैं

  1. ये बल सदैव आकर्षणात्मक होते हैं तथा कभी भी प्रतिकर्षणात्मक नहीं होते हैं।
  2. ये प्रकृति में सबसे दुर्बल बंल होते हैं।
  3. ये विस्तृत दूरियों पर भी कार्यरत् रहते हैं।
  4.  ये दूरी सम्बन्धी व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन करते हैं।
  5.  ये केन्द्रीय बल होते हैं अर्थात् दोनों वस्तुओं के केन्द्रों को जोड़ने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करते हैं।
  6. ये बल संरक्षी बल होते हैं।

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