सरल आवर्त गति
सरल आवर्त गति एक विशेष प्रकार की गति होती है जिसमें कोई बस्तु अपनी माध्य स्थिति के दोनों ओर सरल रेखा में दोलन गति करती है । सरल आवर्त गति में पिण्ड पर कार्यरत प्रत्यायन बल तथा इसका त्वरण साम्य स्थिति से कण के विस्थापन के अनुत्क्रमानुपाती होता है।
सरल आवर्त गति में जब केाई पिण्ड अपनी माध्य स्थिति से विस्थापित किया जाता है तो इसके ऊपर एक प्रत्यानयन बल कार्य करने लगता है जिसके परिणामस्वरूप इसकी गति में ब्रद्धि होती है ,तथा वह अपनी माध्य स्थिति पर वापस आकर त्वरित गति करता रहता है
अपनी माध्य स्थिति के दोनो तरफ जब पिण्ड अपनी माध्य स्थिति के समीप आता है तो प्रत्यानयन बल का मान घट जाता हैा तथा माध्य स्थिति पर कुल प्रत्यानयन बल का मान खत्म हो जाता है।
यदि तंत्र में कोई ऊर्जा हानि ना हो तो लगातार अनंत समय तक गति करता रहेगा। इसलिये हम कह सकतें है कि सरल आवर्त गति एक दोलनी गति होती है।
सरल आवर्त गति के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण इस प्रकार है :-
एक समान व्रत्तीय गति सरल आवर्त गति का उदाहरण है
सरल लोलक तथा सेकण्ड लोलक की गति भी सरल आवर्त गति होती है।
सरल आवर्त गति का मान आयाम तथा गुरूत्वीय त्वरण पर निर्भर नहीं करता है।