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सरल लोलक (पेण्‍डुलम) से आप क्या समझते हैं

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सरल लोलक (पेण्‍डुलम)

शब्‍द पेण्‍डुलम लेटिन भाषा के शब्‍द पेण्‍डूस से बना है जिसका अर्थ होता है ‘लटकना’।

सरल लोलक एक ऐसी युक्‍ति है जिसमें किसी वस्‍तु के बिन्‍दु आकार के भारी कण को पूर्णत: लचकदार और अवितन्‍य डोरी कें सहारे बांधकर किसी सख्‍त आधार से लटकाया जाये ओर घर्षण रहित दोलन की व्‍यवस्‍था की जाये तो इस सम्‍पूर्ण व्‍यवस्‍था को सरल लोलक कहा जाता है।

यह एक आदर्श संकल्‍पना होती है लेकिन व्‍यवहार में इसे प्राप्‍त नहीं किया जा सकता है क्‍योंकि डोरी का स्‍वंय का कुछ न कुछ भार तो अवश्‍य होता है तथा पूर्णत: घर्षण रहित विन्‍दु मिलना भी असंभव है ।इस युक्ति में पेन्‍डुलम को स्‍वतंत्र रूप से दोलन करने की व्‍यवस्‍था की जाती है । इसमें पेण्‍डुलम को अपनी माध्‍य स्थिति से थोडा सा बिस्‍थापित करके छोड दिया जाता है । जिससे इस पर एक प्रत्‍यानयन बल कार्य करने लगता है जो इसे इसकी पुरानी स्थिति माध्‍य स्थिति में रखने का प्रयास करता है

जिसके कारण यह फिर अपनी माध्‍य स्थिति के दोनो ओर गति करने लगता है । इसे एक पूरा चक्‍कर लगाने में लिया गया समय इसका आवर्तकाल कहलाता है तथा जिस बिन्‍दु के सापेक्ष इसे घुमाया जाता है उसे हम निलम्‍वन बिंदु कहते है।

उपयोग:-

सरल लोलक का उपयोग समय गणना के लिये पेण्‍डुलम घडी बनाने मे, एसीलेरोमीटर , भुकम्‍पमापी बनाने में किया जाता है ।

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