तरंग गति
किसी माध्यम में उत्पन्न विक्षोभ को तरंग कहते है । जब कोई लहर अथवा तरंग किसी निश्चित चाल से आगे बढती है तो इस प्रकार की गति को हम तरंग गति कहते है।
जब हम किसी तालाब के शांत जल में पत्थर को फेंकतें है तो जिस स्थान पर पत्थर गिरता है वह उस स्थान पर एक विक्षोभ उत्पन्न करता है जिससे उस स्थान का जल ऊपर व नीचे केा होने लगता है तथा अपने चारों ओर एक व्रत्तीय पथ का निर्माण करते हुए आगे को बडता है । यह बिक्षोभ का आकार इसके केन्द्र से किनारे की तरफ फैलता जाता है ।
क्योंकि उर्ध्वाधर दिशा में गतिमान जल के अणु अपने समीपवर्ती जल के अणुओं को भी अपने विक्षोप के प्रभाव में लेकर उन्हें गतिमान बना देते है। और वे इस प्रकार श्रखलाबद्ध होकर विक्षोप को आगे बढाते जाते है जो हमे लहरों की श्रखला के रूप में दिखाई देता है । इस प्रकार विक्षोप के आगे बढने की प्रक्रिया को ही हम तरंग गति कहते है ।
तरंग गति का एक अन्य उदाहरण के अनुसार जब हम किसी लम्वी रस्सी को एक सिरे को बांधकर दूसरे सिरे को हाथ में पकडकर उपर नीचे को झटका दिया जाता है तो हमे रस्सी में कुछ श्रंग ओर गर्त बनते दिखाई देते है इसमें भी ये विक्षोभ तरंग आगे बढतें हुए दिखाई देते है जो कि तरंग गति का हि एक रूप है।