विभिन्न प्रयोगिक परीक्षाओं में पुछे जाने वाले व्याकरण संबंधी शब्दों के परिभाषा एवं उनके उत्पत्ति, स्वरूप, अर्थ के आधार पर शब्दों के प्रकार व भेद इस प्रकार हैः
शब्द (Word)
शब्द की परिभाषा
वर्णो के सार्थक मेल को शब्द कहते है या ध्वनि से बने सार्थक वर्ण समुदाय को ‘शब्द (word)’ कहा जाता है।
शब्द का अस्तित्व स्वतंत्र रूप से या वाक्य के बाहर होता है, जबकि वाक्य के अन्तर्गत शब्द ‘पद’ कहलाते हैं।
जैसे:– राम जाता है।
यहाँ पर ‘राम‘ एक पद के रूप में है।
शब्द मुख्यतः दो प्रकार के होते हैंः
(1) सार्थक शब्द (2) निरर्थक शब्द
1) सार्थक शब्द
जिन शब्दों का कुछ अर्थ होता है, ‘सार्थक शब्द’ कहलाता है।
जैसे:- घर, बाजार इत्यादि।
2) निरर्थक शब्द
जिन शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता और जिनका प्रयोग स्थान विशेष पर बोलचाल की भाषा में करते हैं। उसे ‘निरर्थक शब्द‘ कहते है।
जैसे: दनादन, फटाफट, चटाचट और टनाटन आदि।
सार्थक शब्दों के अनेक भेद है:-
उत्पत्ति के आधार पर
उत्पत्ति के आधार पर शब्द चार प्रकार के हैं-
(1) तत्सम शब्द (2)तद्भव शब्द(3)देशी/देशज शब्द(4) विदेशी शब्द
1) तत्सम शब्द
किसी भी भाषा के मूल शब्द या शुद्ध शब्द को ‘तत्सम शब्द‘ कहते हैं। जबकि संस्कृत भाषा के शुद्ध शब्द को कहते है।
जैसेः– आम्र, अंक्षि, कर्पूर इत्यादि।
2) तद्भव शब्द
शुद्ध शब्द या मूल शब्द के आधार पर उत्पन्न शब्द ‘तद्भव शब्द‘ कहलाते हैं।
जैसेः– आम, आँख, कपूर आदि।
3) देशी/देशज शब्द
जिन शब्दों की उत्पत्ति हमारे देश की भाषाओं से हुई है, उन्हें ‘देशी शब्द‘ कहा जाता है।
जैसे:- लोटा, डोसा, इटली
4) विदेशी शब्द
विदेशी भाषाओं के शब्द ‘विदेशी‘ कहलाते हैं।
i:– अलमीरा, आलपीन
नोट:
संकर शब्द
दो भाषाओं के संयोग से बने शब्द ‘संकर शब्द‘ कहलाते हैं ।
जैसे:-
(1) रेलगाड़ी [इन अक्षर मेंदो भाषाओं का समावेश हैः रेल (अंग्रेजी) + गाड़ी (हिन्दी) ]
(2) जाँचकत्र्ता [इसमें भी दो भाषाओं का प्रयोग होता है: जाँच (अंग्रेजी) + कत्र्ता (संस्कृत) ]
बनावट, रचना, आधार के अनुसार
बनावट, रचना, आधार के अनुसार में शब्द 3 प्रकार के होतें है
1- रूढ़ शब्द
वे शब्द जिन्हें सार्थक खण्डों मेंतोड़ा नहीं जा सकता या जो शब्द शब्दों के योग से नहीं बनते है
‘रूढ़ शब्द’ कहलाते है।
जैसे: कल, घर, आज
2- यौगिक शब्द
दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बने शब्द ‘यौगिक शब्द’ कहलाते है अर्थात् इनके सार्थक खण्ड किये जा सकते है।
जैसे: विद्यालय, विधानसभा आदि।
3- योग रूढ़ शब्द या यौगिक रूढ़ शब्द
वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों के योग से मिलकर बनते है , किन्तु किसी अर्थ विशेष के लिये ही प्रयोग में आते हैं, ‘यौगिक रूढ़ शब्द’ या ‘योग रूढ़ शब्द’ कहलाते है।
जैसे:- जलज, दशानन, चारपाई
नोट: बहुब्रीहि समास के शब्द ‘यौगिक शब्द’ कहलाते है।
अर्थ के आधार पर
अर्थ के आधार पर मुख्य रूप से शब्द के 03 (तीन) भेद होते हैं ।
1- अभिधा/वाचक
जिन शब्दों का अर्थ आसानी से समझ में आ जाता है, उन्हें ‘अभिघा शब्द‘ कहते है।
जैसे:– विद्यालय, गाॅव, देश ।
2- लाक्षणिक
वे शब्द जिनका सीधा शब्दिक या सांकेतिक अर्थ न लेकर लक्षण के आधार पर अर्थ न लेकर लक्ष के आधार पर अर्थ लिया जाता है, ‘लाक्षणिक शब्द’ कहते है।
जैसे:– तुम बिलकुल गधे हो।
(यहाँ पर गधे शब्द का अर्थ जानवर न लेकर मूर्ख लक्षण के आधार पर लिया गया है।)
3- व्यंजना
जिन शब्दों में न शाब्दिक अर्थ लिया जाता है और न ही लाक्षणिक बल्कि एक नया अर्थ लिया जाता है, ‘व्यंजना शब्द’ कहलाता है।
जैसे:- एक चोर दूसरे चोर से कहता है कि राम कितनी अंधेरी है।
(यहाँ पर चोरी के लिये अच्छे मौके से है)
नोट: कुछ विद्वानों के अर्थ के आधार पर ही शब्दों के चार अन्य भेद बताये गये हैं ।
रूपान्तर के आधार पर
इनके आधार पर शब्द 2 प्रकार के होते है:-
(1) विकारी (2) अविकारी
1- विकारी शब्द
वे शब्द जिनमें लिंग, वचन, काल, कारक आदि के आधार पर परिवर्तन हो जाता है, ‘विकारी शब्द’ कहलाता है।
जैसे:- संज्ञा, विशेषण, सर्वनाम, क्रिया hindi grammar tatsam tadbhav
2- अविकारी शब्द
वे शब्द जिनमें लिंग, वचन, काल, कारक आदि के आधार पर कोई परिवर्तन नहीं होता है, ‘अविकारी (या अव्यय) शब्द’ कहलाता है।