पूरा नाम – महाकवि कालिदास|
जन्म – 150 वर्ष ईसा पूर्व|
जन्म स्थान – उत्तरप्रदेश|
पत्नी – विद्योतमा|
कर्म क्षेत्र – संस्कृत कवि|
उपाधि – महाकवि|
दोस्तों महाकवि कालिदास कब हुए और कितने हुए इस पर विवाद होता रहा है|विद्वानों के अनेक मत हैं|150 वर्ष ईसा पूर्व से 450 ई तक कालिदास हुए होंगे ऐसा माना जाता है|नये अनुसंधान से ज्ञात हुआ है कि इनका काल गुप्तकाल रहा होगा|आपको बताये रामायण और महापुराण जैसे महाकाव्यों की रचना के पश्चात् संस्कृत के आकाश में अनेक कवि-नक्षत्रों ने अपनी प्रभा प्रकट की पर नक्षत्र तारा ग्रहसंकुला होते हुए भी कालिदास चन्द्र के द्वारा ही भारतीय साहित्य की परम्परा सचमुच ज्योतिष्मयी कही जा सकती है|माधुर्य और प्रसाद का परम परिपाक, भाव की गम्भीरता तथा रसनिर्झरिणी का अमन्द प्रवाह, पदों की स्निग्धता और वैदिक काव्य परम्परा की महनीयता के साथ-साथ आर्ष काव्य की जीवनदृष्टि और गौरव-इन सबका ललित सन्निवेश कालिदास की कविता में हुआ है|
आपको बताये किंवदन्ती है कि प्रारंभ में कालिदास मंदबुध्दी तथा अशिक्षित थे|कुछ पंडितों ने जो अत्यन्त विदुषी राजकुमारी विद्योत्तमा से शास्त्रार्थ में पराजित हो चुके थे|बदला लेने के लिए छल से कालिदास का विवाह उसके साथ करा दिया|विद्योत्तमा वास्तविकता का ज्ञान होने पर अत्यन्त दुखी तथा क्षुब्ध हुई|उसकी धिक्कार सुन कर कालिदास ने विद्याप्राप्ति का संकल्प किया तथा घर छोड़कर अध्ययन के लिए निकल पड़े और विद्वान बनकर ही लौटे|इस तरह उन्होंने अपने जीवन की सुरुआत की|कविकुल गुरु महाकवि कालिदास की गणना भारत के ही नहीं वरन् संसार के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकारों में की जाती है|उन्होंने नाटक, महाकाव्य तथा गीतिकाव्य के क्षेत्र में अपनी अदभुत रचनाशक्ति का प्रदर्शन कर अपनी एक अलग ही पहचान बनाई|
रचनाएँ –
- श्यामा दंडकम्|
- ज्योतिर्विद्याभरणम्|
- श्रृंगार रसाशतम्|
- सेतुकाव्यम्|
- श्रुतबोधम्|
- श्रृंगार तिलकम्|
- कर्पूरमंजरी|
- पुष्पबाण विलासम्|
काव्य ग्रन्थ –
- रघुवंश|
- कुमारसंभव|
- मेघदूत|
- ऋतुसंघार|
नाटक
- अभिज्ञान शाकुंतलम|
- मालविकाग्निमित्र|