विलेयता तथा विलेयता गुणनफल में अन्तर
निश्चित ताप पर किसी पदार्थ की विलेयता उस पदार्थ की वह मात्रा है जो उस ताप पर 100 ग्राम विलायक को संतृप्त करने के लिए आवश्यक होती है। दूसरी ओर विलेयता गुणनफल स्थिर ताप पर किसी दुर्बल वैद्युत अपघट्य के संतृप्त विलयन में विद्यमान आयनों की सान्द्रताओं का गुणनफल होता है।
विलेयता तथा विलेयता गुणनफल में सम्बन्ध–यह सम्बन्ध केवल अल्प-विलेय वैद्युत-अपघट्यों के लिए ही सम्भव है। माना, किसी विलेय द्विअंगी वैद्युत-अपघट्य AB की विलेयता 5 ग्राम् अणु प्रति लीटर है। अल्प विलेय होने के कारण संतृप्त विलयन में अपघट्य का पूर्ण आयनन सम्भव है। इसीलिए AB पूर्ण आयनन के बाद A+ तथा B का उतना ही सान्द्रण प्रस्तुत करता है जितना कि AB का था। अतः A+ तथा B– आयनों का सान्द्रण पृथक्-पृथक् क्रमश: s ग्राम आयन प्रति लीटर होगा।
इसीलिए “किसी अल्प विलेय द्विअंगी वैद्युत-अपघट्य की विलेयता उसके विलेयता गुणनफल के वर्गमूल के बराबर होती है।”
विलेयता गुणनफल का उपयोग-विलेयता गुणनफल का प्रमुख उपयोग गुणात्मक विश्लेषण में किया जाता है।