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Pratham Singh in Chemistry
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सहसंयोजी यौगिकों के मुख्य लक्षण समझाइये

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Deva yadav
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सहसंयोजी यौगिकों के मुख्य लक्षण 

  1. सामान्यत: ये यौगिक ताप्न तथा दाब की साधारण परिस्थितियों में गैस या द्रव हैं। अणुभार अधिक होने पर ये ठोस होते हैं। क्योकि इनके अणुओं के मध्य दुर्बल वाण्डरवाल्स बल होता है।

  2. इने यौगिकों के अणु परस्पर दुर्बल वाण्डरवाल्स बन्ध से जुड़े होते हैं और इनमें आकर्षण बल | बहुत कम होता है; अतः अणुओं के मुक्त होने में अधिक ऊर्जा नहीं लगती है। इस कारण इनमें कम ताप पर अवस्था परिवर्तन हो जाता है और ये वाष्पित हो जाते हैं जिसके कारण इनका गलनांक तथा क्वथनांक कम होता है।

  3. ये यौगिक आयनित नहीं होते हैं; अत: गलित अवस्था या विलयन में ये विद्युत के कुचालक होते हैं।

  4. आयनित न होने के कारण ये यौगिक जल तथा ध्रुवीय विलायकों में अविलेय हैं, किन्तु अध्रुवीय कार्बनिक विलायकों में प्रायः विलेय होते हैं।

  5. इनकी अभिक्रियाएँ प्रायः धीरे-धीरे होती हैं; क्योंकि ये आण्विक अभिक्रियाएँ देते हैं।

  6. इन यौगिकों के बन्ध दिशात्मक होते हैं; इस कारण ये समावयवता के गुण व्यक्त करते हैं।

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