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Pratham Singh in Chemistry
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ध्रुवीय सहसंयोजी आंबन्ध से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।

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Deva yadav
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ध्रुवीय सहसंयोजी यौगिक (Polar covalent compound)

बहुत-से अणुओं में एक परमाणु दूसरे परमाणु से अधिक ऋण-विद्युतीय होता है तो इसकी प्रवृत्ति सहसंयोजी बन्ध के इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर खींचने की होती है, इसलिए वह इलेक्ट्रॉन युग्म सही रूप से अणु के केन्द्र में नहीं रहता है, बल्कि अधिक ऋण विद्युती तत्व के परमाणु की ओर आकर्षित रहता है। इस कारण एक . परमाणु पर धन आवेश (जिसकी ऋण-विद्युतीयता कम है) तथा दूसरे परमाणु पर ऋण आवेश (जिसकी ऋण-विद्युतीयता अधिक होती है) उत्पन्न हो जाता है। इस प्रकार प्राप्त अणु ध्रुवीय सहसंयोजी यौगिक कहलाता है और उसमें उत्पन्न बन्ध ध्रुवीय सहसंयोजी आबन्ध कहलाता है।
उदाहरण-HCl अणु का बनना—क्लोरीन की विद्युत-ऋणात्मकता हाइड्रोजन की अपेक्षा अधिक है; अत: साझे का इलेक्ट्रॉन युग्म CI परमाणु के अत्यन्त निकट होता है। फलस्वरूप H पर धन आवेश तथा Cl पर ऋण आवेश आ जाता है तथा HCl ध्रुवीय यौगिक की भाँति कार्य करने लगता है; अत: यह ध्रुवीय सहसंयोजी यौगिक का उदाहरण है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 4 Chemical Bonding and Molecular Structure 24

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