वैद्युत रासायनिक श्रेणी
विभिन्न धातुओं तथा अधातुओं के मानक इलेक्ट्रोड विभवों (अपचयन विभव) को बढ़ते हुए क्रम में रखने पर जो श्रेणी प्राप्त होती है, उसे वैद्युत रासायनिक श्रेणी कहते हैं।
वैद्युत रासायनिक श्रेणी के लक्षण
- श्रेणी में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर तत्त्वों की अपचयन क्षमता घटती है, जबकि नीचे से ऊपर जाने पर अपचयन क्षमता बढ़ती है।
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हाइड्रोजन से ऊपर के सभी तत्त्व अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं, जबकि नीचे वाले तत्त्व अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त नहीं करते।
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हाइड्रोजन से ऊपर के सभी तत्त्व जल या भाप के साथ क्रिया करके H, गैस देते हैं।
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जिस तत्त्व का अपचयन विभव जितना अधिक होता है, वह उतना ही प्रबल ऑक्सीकारक होता है।
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जिस तत्त्व का अपचयन विभव जितना कम होता है, वह उतना ही प्रबल अपचायक होता है।
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श्रेणी का ऊपर वाला तत्त्व नीचे वाले तत्त्व को उसके विलयन से विस्थापित कर देता है।
उपयोग
वैद्युत रासायनिक श्रेणी के दो उपयोग निम्नवत् हैं –
- किसी सेल के मानक वैद्युत वाहक बल का निर्धारण करने में,
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धातुओं की क्रियाशीलता की तुलना करने में।