ध्रुवीय पवनें (Polar Winds)
उत्तरी ध्रुवीय प्रदेशों में 60° से 65° अक्षांशों के मध्य पूर्वी पवनें चलती हैं। ग्रीष्मकाल में इन अक्षांशों के मध्य दोनों गोलार्डो में निम्न वायुदाब मिलता है, परन्तु शीतकाल में यह समाप्त हो जाता है। ध्रुवों पर वर्ष-भर उच्च वायुदाब बना रहता है। अतः ध्रुवीय उच्च वायुदाब से उप-ध्रुवीय निम्न वायुदाब की ओर चलने वाली पवनों को ‘ध्रुवीय पवनें’ कहते हैं। इनकी दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर-पूर्व तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण-पूर्व होती है। सूर्य की उत्तरायण स्थिति में इनके प्रवाह क्षेत्र उत्तर की ओर खिसक जाते हैं तथा दक्षिणायण में स्थिति इसके विपरीत होती है। ध्रुवीय पवनें 70° से 80° अक्षांशों के मध्य ही चल पाती हैं, क्योंकि इससे । आगे उच्च वायुदाब के क्षेत्र सदैव बने रहते हैं। ध्रुवों की ओर से चलने के कारण ये पवनें-अधिक ठण्डी एवं प्रचण्ड होती हैं। जब इनका सम्पर्क शीतोष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों की पवनों से होता है तो भयंकर चक्रवातों एवं प्रति-चक्रवातों की उत्पत्ति होती है।