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वैद्युत ऋणात्मकता से आप क्या समझते हैं

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वैद्युत ऋणात्मकता

किसी यौगिक के परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करने की प्रवृत्ति को उस परमाणु की वैद्युत ऋणात्मकता कहा जाता है। वे परमाणु जिनके नाभिक अधिक धनात्मक होते हैं और जिनकी त्रिज्याएँ कम होती हैं, अधिक वैद्युत ऋणात्मक होते हैं।

आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर अर्थात् परमाणु क्रमांक में वृद्धि से वैद्युत ऋणात्मकता बढ़ती है क्योंकि परमाणु त्रिज्याएँ घटती हैं, जबकि वर्ग में ऊपर से नीचे आने अर्थात् परमाणु क्रमांक बढ़ने से वैद्युत ऋणात्मकता प्राय: घटती है क्योंकि परमाणु त्रिज्याएँ क्रम से बढ़ती हैं। उदाहरणार्थ।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties 19अक्रिय गैसों (Ar, Ne) इत्यादि में इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करने की प्रवृत्ति नहीं होती है, अत: उनकी वैद्युत ऋणात्मकता शून्य होती है।
उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि फ्लोरीन हैलोजन वर्ग में सबसे ऊपर है अत: इसकी वैद्युत ऋणात्मकता सबसे अधिक है।

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