सन्धि
सन्धि का अर्थ है ‘मेल’ या ‘जोड़। जब दो शब्द पास-पास आते हैं तो पहले शब्द का अन्तिम वर्ण और दूसरे शब्द का आरम्भिक वर्ण कुछ नियमों के अनुसार आपस में मिलकर एक हो जाते हैं। दो वर्गों के इस एकीकरण को ही ‘सन्धि’ कहते हैं। उदाहरणार्थ-देव + आलये = देवालय। यहाँ ‘देव’ (द् + ए + व् + अ) शब्द का अन्तिम ‘अ’ और ‘आलय’ शब्द का प्रारम्भिक ‘आ’ मिलकर ‘आ’ बन गये।
प्रकार–सन्धियाँ तीन प्रकार की होती हैं—(अ) स्वर सन्धि, (ब) व्यञ्जन सन्धि और (स) विसर्ग सन्धि।