हुवेनसांग ने हर्ष के विषय में लिखा है कि हर्षवर्धन एक प्रजापालक एवं उदार शासक था। उसने जिन राज्यों पर विजय प्राप्त की थी, उन राजाओं ने हर्ष की अधीनता स्वीकार कर ली हर्षवर्धन ने अपने सम्पूर्ण साम्राज्य की व्यवस्था के लिए उसे भुक्तियों (प्रांतों), विषयों (जिलों) तथा ग्रामों में विभाजित किया। उसके शासन में अपराध कम होते थे। अपराध करने वाले को कठोर दण्ड दिया जाता था। हर्ष को बौद्ध धर्म से लगाव था। उसने कन्नौज में एक विशाल धर्म सभा भी बुलाई थी। वह बहुत दानी था। वह हर पाँच वर्ष में अपनी सारी संचित सम्पत्ति प्रयाग के मेले में दान कर देता था। उन्होंने कहा भारत महान देश हर्ष जैसे लोगों की वजह से ही है।