अलाउद्दीन का मानना था कि दावतों तथा उत्सवों में मिलने से अमीरों तथा सरदारों में निकटता तथा आत्मीयता बढ़ती है जिससे सुल्तान के प्रति षड्यन्त्र एवं विद्रोह करने का अवसर मिलता है। अत: विद्रोहों को रोकने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने दरबार के अमीरों तथा सरदारों पर कठोर प्रतिबन्ध लगाए। उनके इलाकों पर राज्य द्वारा अधिकार कर लिया गया। अमीरों की दावतों, मदिरापान एवं गोष्ठियों पर भी नियंत्रण लागू किया गया। सुल्तान की पूर्व आज्ञा के बिना अमीर सामाजिक समारोहों का आयोजन नहीं कर सकते थे। गुप्तचर सदेव उन पर नजर भी रखते थे। इन प्रतिबन्धों से सरदार और अमीर भयभीत रहते थे। सुल्तान के विरुद्ध किसी को सिर उठाने का साहस नहीं था। इस प्रकार उसका अमीरों पर पूर्ण नियंत्रण था।