पुराने यूरोपीय व्यापारिक मार्ग
भारत और यूरोप के मध्य व्यापार जल और थल मार्ग द्वारा होता था। इन मार्गों की संख्या तीन थी। पहला मार्ग फारस की खाड़ी से होता हुआ समुद्री मार्ग था। दूसरा मार्ग ‘लाल सागर से अलेक्जेंडरिया का था, जहाँ से समुद्र द्वारा वेनिस और जिनेवा को जाया जाता था। तीसरा मार्ग मध्य एशिया से यूरोप के लिए था। पंद्रहवीं शताब्दी (1453 ई०) में कुस्तुनतुनियाँ पर तुर्की ने अपना अधिकार कर लिया। अब तुर्को ने यूरोप और भारत के मध्य पुराने सभी संचार माध्यमों को बंद कर दिया। कुस्तुनतुनियाँ नगर व्यापार मार्ग का मुख्य द्वार था। अतः व्यापार के लिए यूरोप के व्यापारियों को कुस्तुनतुनियाँ नगर पार करना पड़ता था। लेकिन तुर्को द्वारा मार्ग पर कब्जा होने के कारण यूरोप और भारत के मध्य होने वाले व्यापार को बहुत धक्का लगा। अब यूरोपवासियों ने व्यापार के लिए नये समुद्री मार्ग की खोज करना आरंभ कर दिया।