बाड़बंदी
इंग्लैण्ड में बाड़बंदी से 18वीं सदी में आशय उस भूमि से था जिसमें भूमि के एक टुकड़े को चारों ओर से बाड़ के माध्यम से घेरा गया हो और जिसके चारों ओर बाड़ लगाई गयी हो। ऐसा करने से एक की भूमि दूसरे से पृथक् हो जाती थी।
जमीन को अन्न के उत्पादन को बढ़ाने के लिए घेरा गया था ताकि इंग्लैण्ड की बढ़ती हुई जनसंख्या का भरण-पोषण किया जा सके जो कि 1750 और 1950 के बीच के समय में चार गुना बढ़कर 1750 में 70 लाख की जनसंख्या से बढ़कर 1850 में 2 करोड़ दस लाख एवं 1900 ई० में 3 करोड़ हो गई थी। इसने जनसंख्या का पेट भरने के लिए अनाज की माँग में वृद्धि कर दी।
ब्रिटेन में औद्योगीकरण के कारण शहरी जनसंख्या में वृद्धि हो गई। ग्रामीण क्षेत्रों से लोग काम की खोज में शहरों में प्रवास कर गए। जिंदा रहने के लिए उन्हें बाजार से अनाज खरीदना पड़ता था जिससे बाजारों का विस्तार हुआ और अंततः अनाज की कीमतें बढ़ गईं।
अठारहवीं सदी के अंत तक फ्रांस का इंग्लैण्ड के साथ युद्ध छिड़ चुका था। इसने यूरोप से आयात किए जाने वाले अनाज एवं व्यापार में व्यवधान डाला। अनाज के दाम बढ़ गए जिसने जमींदारों को बाड़बंदी के लिए प्रोत्साहित किया। लंबे समय के लिए जमीन में निवेश करने एवं भूमि की उर्वरता को बनाए रखने के लिए अदल-बदल कर फसल बोने की योजना बनाने के लिए बाड़बंद करना जरूरी था। इसलिए संसद ने बाड़बंदी अधिनियम पारित किया।