मूल प्रवृत्ति से आशय
प्राणियों के व्यवहार की व्याख्या प्रस्तुत करने के लिए प्रेरकों के साथ-ही-साथ मूल प्रवृत्तियों (Instincts) को भी जानना आवश्यक है। वास्तव में, प्राणियों का स्वभावगत व्यवहार मूल रूप से मूल प्रवृत्तियों द्वारा ही परिचालित होता है। मूल प्रवृत्तियाँ जन्मजात होती हैं तथा प्राणियों के स्वभाव में निहित होती हैं। मूल प्रवृत्तियों का सम्बन्ध संवेगों से होता है। मूल प्रवृत्तियों के अर्थ को मैक्डूगल ने इन शब्दों में स्पष्ट किया है, “मूल प्रवृत्ति एक परम्परागत अथवा जन्मजात मनोशारीरिक प्रवृत्ति है, जो उसके अधिकारों के लिए यह निर्धारित करती है कि व्यक्ति किसी एक जाति की वस्तुओं को प्रत्यक्ष करेगा एवं उन पर ध्यान देगा, किसी ऐसी वस्तु के प्रत्यक्ष के उपरान्त एक उद्वेगात्मक तीव्रता का अनुभव करेगा और उसके सम्बन्ध में एक विशेष प्रकार की क्रिया करेगा या कम-से-कम ऐसी क्रिया करने के आवेग का अनुभव करेगा।”-