वन ग्राम
औपनिवेशिक सरकार ने 1905 ई० में जंगल के दो-तिहाई हिस्से को आरक्षित कर दिया लेकिन कुछ गाँवों को आरक्षित वनों में इस शर्त पर रहने दिया गया कि वे वन विभाग के लिए पेड़ों की कटाई और ढुलाई का काम मुफ्त करेंगे और जंगल को आग से बचाए रखेंगे। बाद में इन्हीं गाँवों को वन ग्राम कहा जाने लगा।