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क्वार मास की उमस से क्या समझते हो

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क्वार की उमस

अक्टूबर एवं नवम्बर के महीनों में भारत की मुख्य भूमि से मानसून लौटने लगता है, क्योंकि इस ऋतु में मानसून का निम्न वायुदाब गर्त क्षीण पड़ जाता है तथा उसका स्थान उच्च वायुदाब लेने लगता है। वायुभार बढ़ने तथा मानसूनी पवनों की शक्ति क्षीण हो जाने के कारण मानसूनी पवनें लौटने लगती हैं, फलस्वरूप भारतीय क्षेत्र से इसका प्रभाव क्षेत्र सिकुड़ने लगता है। धरातलीय पवनों की दिशा विपरीत होनी आरम्भ हो जाती है। अक्टूबर माह के अन्त तक मानसून विशाल मैदानों से पूर्णत: पीछे हट जाता है। ये दोनों महीने संक्रमणीय जलवायु दशाएँ रखते हैं। इनमें उष्णार्द्र वर्षा ऋतु का स्थान शुष्क ऋतु ले लेती है। मानसून के प्रत्यावेदन से आकाश साफ हो जाता है और तापमान पुन: बढ़ने लगता है। भूमि अभी भी आर्द्रता से युक्त होती है। अत: उच्च तापमान एवं आर्द्रता के कारण मौसम बड़ा ही कष्टदायक हो जाता है, जिसे क्वार की उमस के नाम से पुकारा जाता है।

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