मेघ वास्तव में वायुमण्डल में धूलकणों पर रुके हुए जल-बिन्दुओं का समूह मात्र है। तापमान के अत्यन्त कम होने पर वायु की अतिरिक्त जलवाष्प सूक्ष्म जल की बूंदों में बदल जाती है, जिसे संघनन (Condensation) कहते हैं। जिस ताप पर संघनन आरम्भ होता है, उसे ओसांक (Dew point) कहते ।
हैं। यदि ओसांक 0° सेल्सियस से ऊपर आ जाता है तो जलवाष्प सूक्ष्म जल की बूंदों में बदल जाती है और यदि 0° सेल्सियस (हिमांक) पर ओसांक आता है तो जलवाष्प सूक्ष्म हिमकणों में अर्थात् पाले के रूप में बदल जाती है। यही हिमकण तथा जल-सीकर कुहरे के रूप में वायुमण्डल में दिखलाई पड़ते हैं। जब ये एक विस्तृत क्षेत्रफल में विशाल रूप धारण कर ऊँचाई पर सघन रूप में एकत्रित हो जाते हैं, तो इन्हें मेघ या बादल कहा जाता है।
सामान्यतया मेघ धूलकणों पर स्थित जलकण अथवा हिमकणों के विशाल आकार हैं, जो वायुमण्डल में अक्षांशों के अनुसार भिन्न-भिन्न ऊँचाइयों पर स्थापित हो जाते हैं। इन मेघों की ऊँचाई कटिबन्धों के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है।