विभिन्न जीव-जन्तु मानव समाज के अभिन्न अंग हैं। कृषि, पशुपालन, आखेट एवं वनोपज एकत्रीकरण पर निर्भर मानव समुदाय के लिए जीव-जन्तुओं की विविधता जीवन का आधार है। विभिन्न घुमक्कड़ जातियाँ व आदिवासी समाज आज भी जैव-विविधता से प्रत्यक्षतः प्रभावित होते हैं। उनके सामाजिक संगठन व रीति-रिवाजों में विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तुओं का विशिष्ट स्थान रहा है। जीव-जन्तुओं के माध्यम से जीवनोपयोगी शिक्षाओं को सरल रूप में व्यक्त किया गया है; जैसे—शेर जैसी । निडरता, बगुले जैसी एकाग्रता, कुत्ते जैसी वफादारी आदि आज भी मानव आचरण के प्रतिमान माने जाते हैं।