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Pratham Singh in भूगोल
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भूमण्डलीय तापन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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Deva yadav
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भूमण्डलीय तापन पृथ्वी के तापमान में वृद्धि मानवजनित ग्रीनहाउस प्रभाव का एक दुष्परिणाम है। इसकी ओर विश्व समुदाय का ध्यान आकृष्ट करने के लिए 1989 में पर्यावरण दिवस पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा ‘भूमण्डली तापन : भूमण्डलीय चेतावनी’ (Global warming : Global warming) नामक नारा दिया गया। ग्रीनहाउस गैसों का निरन्तर बढ़ना विश्व तापन का प्रमुख कारण है। वैज्ञानिकों का निष्कर्ष है कि प्रति दशके विश्व तापमान में 0.2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो रही है। बीसवीं सदी में धरती का औसत तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया। ‘विश्व मौसम संगठन द्वारा पहले 1990, फिर 1995, 1997 तथा 1998 को शताब्दी के सर्वाधिक गर्म वर्ष के रूप में उल्लेख करना विश्व तापमान में निरन्तर वृद्धि का प्रमाण है। भूतापमान में वृद्धि के लिए उत्तरदायी गैसों को ग्रीनहाउस गैस कहा जाता है। ग्रीनहाउस प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैसें निम्नलिखित हैं—

1. कार्बन डाइऑक्साइड-ग्रीनहाउस प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड प्रमुख है। तीव्र औद्योगिकीकरण एवं परिवहन साधनों की वृद्धि से इस गैस की मात्रा में निरन्तर वृद्धि हो रही है।

2. मीथेन-कार्बन एवं हाइड्रोजन के मेल से निर्मित यह गैस कार्बन डाई-ऑक्साइड से 21 गुना अधिक ग्रीनहाउस प्रभाव उत्पन्न करती है।

3. नाइट्रस ऑक्साइड-यह अत्यन्त खतरनाक प्रभाव उत्पादक गैस है। वायुमण्डल में इसकी मात्रा कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में बहुत कम है फिर भी यह कार्बन डाइऑक्साइड की अपेक्षा 290 गुना अधिक खतरनाक होती है। ग्रीनहाउस प्रभाव उत्पन्न करने में इस गैस का योगदान 6 प्रतिशत है।

4. क्लोरो-फ्लोरो कार्बन-कलोरो-फ्लोरो कार्बन या सी०एफ०सी० गैसों का निर्माण प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा न होकर रासायनिक अभिक्रियाओं द्वारा होता है। यह बीसवीं शताब्दी की देन है। वायुमण्डल में इसका अस्तित्व 130 वर्ष तक बना रहता है। यह गैस ओजोन परत को भारी क्षति पहुँचाती है।

उपर्युक्त उल्लेखनीय हरित गैसों की उपस्थिति के कारण वायुमण्डल एक हरित गृह की भाँति व्यवहार करता है। यद्यपि हरित गृह काँच का बना होता है। काँचै प्रवेशी सौर विकिरण की लघु तरंगों के लिए पारदर्शी होता है तथा बहिर्गामी विकिरण की लम्बी तरंगों के लिए अपारदर्शी है। इसी प्रकार का व्यवहार ग्रीनहाउस गैसों से वायुमण्डल में होने के कारण वर्तमान शताब्दी में भूमण्डलीय तापन की समस्या उत्पन्न हो रही है।

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