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पछुवा पवनो को समझइये

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पछुवा पवनें (Westerly Winds)

उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी से उपध्रुवीय निम्न वायुभार पेटियों (60° से 65° अक्षांश) के मध्य चलने वाली स्थायी पवनों को ‘पछुवा पवनों के नाम से पुकारते हैं। पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में इनकी दिशा उत्तर-पूर्व की ओर होती है। ये पवनें शीत एवं शीतोष्ण कटिबन्धों में चलती हैं। शीत-प्रधान ध्रुवीय पवनों के उष्णार्द्र पछुवा पवनों के सम्पर्क में आने से वाताग्र (Front) उत्पन्न हो जाता है। इन्हें शीतोष्ण वाताग्र के नाम से जाना जाता है। चक्रवातों से इनकी दिशा में परिवर्तन हो जाता है तथा मौसम में भी परिवर्तन आ जाता है। आकाश बादलों से युक्त हो जाता है तथा वर्षा होती रहती है। उत्तरी गोलार्द्ध की अपेक्षा दक्षिणी गोलार्द्ध में पछुवा पवनों का प्रवाह तीव्र होता है, क्योंकि यहाँ पर जल की अधिकता है। यहाँ पर पछुवा पवनें गर्जन-तर्जन के साथ चलती हैं जिससे समुद्री यात्रियों ने इन्हें ‘गरजने वाला चालीसा’, ‘क्रुद्ध पचासा’ तथा ‘चीखती साठा’ आदि नामों से पुकारा है।

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