द्रव्यमान ऊर्जा संरक्षण
आइंसटीन के द्रव्यमान ऊर्जा सम्वन्ध के अनुसार द्रव्यमान को ऊर्जा तथा ऊर्जा द्रव्यमान में परिवर्तित किया जा सकता हैं यदि द्रव्यमान m, ऊर्जा E के समतुल्य हो तब
E = mc2
जहाँ c निर्वंत में प्रकाश की चल हैं
आइंसटीन के इस सिद्धांत से पूर्व द्रव्य को अविनाशी माना जाता था तथा द्रव्यमान संरक्षण का नियम प्रक्रति के मूल संरक्षण नियमों में से एक मन जाता हैं अव द्रव्यमान तथा ऊर्जाको अलग - अलग संरक्षित न लेकर द्रव्यमान - ऊर्जा को संयुक्त रूप से संरक्षित मने जाते हैं
द्रव्यमान ऊर्जा संरक्षण का नियम - किसी वियुक्त निकाय में अभिक्रिया से पूर्व की ऊर्जा तथा द्रव्यमान के समतुल्य ऊर्जा का योग , अभिक्रिया के बाद की कुल ऊर्जा एवम् द्रव्यमान के समतुल्य ऊर्जा के योग के बराबर होता हैं
उदाहरण
जब मोमबत्ती जलती है, तब उसका मोम ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया कर पानी (H2O) तथा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) बनाता है। तो यदि हम मोम और ऑक्सीजन का कुल वज़न लें ,तो वह H2O और CO2 के कुल वज़न के बराबर होगा।
यानी मोम कहीं गायब नहीं हुआ है। वह जितना था, उतना ही है।