in Physics
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आवेश-संरक्षण का नियम लिखिए। उदाहरण दीजिए।

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जब दो वस्तुओं को परस्पर रगड़ा जाता है, तो दोनों वस्तुओं पर एक साथ विपरीत प्रकृति परन्तु समान परिमाण के आवेश उत्पन्न हो जाते हैं। अर्थात् दोनों वस्तुओं पर उत्पन्न आवेश की कुल मात्रा शून्य ही रहती है। इस बात को हम इस प्रकार भी कह सकते हैं कि “न तो आवेश उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है।” यह कथन ही “आवेश-संरक्षण का नियम”(Law of conservation of charge) कहलाता है। प्रत्येक प्राकृतिक घटना में, जहाँ वैद्युत आवेश का आदान-प्रदान होता है, इस नियम को सत्य पाया गया है।

उदाहरणार्थ:
इलेक्ट्रॉन तथा पॉजिट्रॉन का संयोग आवेश-संरक्षण को प्रदर्शित करता है। इलेक्ट्रॉन पर ऋणावेश होता है तथा पॉजिट्रॉन पर ठीक इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर परिमाण का धनावेश होता है।
अतः दोनों के आवेश का कुल योग शून्य होता है। ये दोनों परस्पर संयोग करके दो γ-प्रोटॉन उत्पन्न करते हैं जिसमें प्रत्येक पर आवेश शून्य ही होता है।
अतः संयोग से पूर्व कुल आवेश = संयोग के पश्चात् कुल आवेश।

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