पृथ्वी की सतह पर प्राप्त विकिरण की मात्रा में भिन्नता पाई जाती है। वास्तव में पृथ्वी के कुछ भागों में विकिरण सन्तुलन में अधिशेष (Surplus) पाया जाता है, जबकि कुछ भागों में ऋणात्मक सन्तुलन होता हैं से स्पष्ट है कि शुद्ध विकिरण में अधिशेष 40० उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों में अधिक है, परन्तु ध्रुवों के पास इसमें कमी (Deficit) है। ऐसा उष्ण कटिबन्ध ताप संचयन के कारण बहुत अधिक गर्म नहीं होता और न के कारण है। फलस्वरूप उष्ण कटिबन्ध ताप संचयन के कारण बहुत अधिक गर्म नहीं होता और न ही उच्च अक्षांश ताप की अत्यधिक कमी के कारण पूरी तरह जमे हुए हैं। इस प्रकार पृथ्वी के उष्ण कटिबन्ध एवं शीत कटिबन्ध में मानव एवं जीव-जन्तु के लिए तापमान लगभग अनुकूल बना रहता है।