पृथ्वी, चन्द्रमा और सूर्य की पारस्परिक गुरुत्वाकर्षण शक्ति की क्रियाशीलता ही ज्वार-भाटा की उत्पत्ति का प्रमुख कारण हैं। चन्द्रमा का ज्वार-उत्पादक बल सूर्य की अपेक्षा दोगुना होता है क्युकी यह सूर्य की तुलना में पृथ्वी के अधिक निकट है। अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा, सूर्य एवं पृथ्वी एक सीध में होते हैं तो उच्च ज्वार उत्पन्न होता है। दोनों पक्षों की सप्तमी या अष्टमी को सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी के केंद्र पर समकोण बनाते हैं, इस स्थिति में सूर्य और चन्द्रमा के आकर्षण बल एक-दुसरे को संतुलित करने के प्रयास में प्रभावहीन हो जाते हैं तो निम्न ज्वार उत्पन्न होता है।