सम्मिलित अभियान में आपसी सहायता और सहयोग से ही कार्य संपन्न होते हैं। बचेंद्री पाल ने अपने व्यवहार से इस सहयोग भावना का परिचय दिया। उसने देखा कि अभी उसके साथी की, जय और मीनू कैंप तक नहीं पहुँचे, तो वह उनके लिए चाय और जूस बनाकर रास्ते में जा पहुँची। उस खतरनाक रास्ते पर जाना कठिन तथा खतरनाक था। फिर भी बचेंद्री पाल ने यह खतरा उठाया। उसने की और जय को रास्ते में जाकर पेय पदार्थ पिलाया।