लक्ष्मण-हमने तो यही जाना था कि धनुष-धनुष एक-समान होते हैं। फिर राम ने तो इस पुराने धनुष को छुआ भर था कि यह दो टुकड़े हो गया। इसमें राम का क्या दोष? | परशुराम-अरे मूर्ख बालक! लगता है तू मेरे उग्र स्वभाव को नहीं जानता। मैं तुझे बच्चा समझकर छोड़ रहा हूँ। तू क्या मुझे कोरा मुनि समझता है। मैं बाल ब्रह्मचारी हूँ। मैंने कई बार पृथ्वी के सारे राजाओं का संहार किया है। मैंने सहस्रबाहु की भी भुजाएँ काट डाली थीं। मेरा फरसा इतना कठोर है कि इसके डर से गर्भ के बच्चे भी गिर जाते हैं। परशुराम-विश्वामित्र! यह बालक तो बहुत मूर्ख, कुलनाशक, निरंकुश और कुलकलंक है। मैं तुम्हें कह रहा हूँ कि इसे रोक लो। इसे मेरे प्रताप और प्रभाव के बारे में बताओ। वरना यह मारा जाएगा।