मेरे विचार से हमारे विचार-चिंतन और प्रवृत्तियों की विशेषता संस्कृति है। वह सूक्ष्म गुण है। वह हमारे मन और बुद्धि का गुण है। वह हमारे सोचने का ढंग है जो कि हमारी भाषा और प्रतिक्रियाओं में व्यक्त होता है। दूसरे शब्दों में, हमारे संस्कार संस्कृति के मूर्त रूप हैं। सभ्यता स्थूल होती है। हमारे रहन-सहन, खान-पान और पहनावे के ढंग को सभ्यता कहते हैं। हम किस अवसर पर कैसे वस्त्र पहनते हैं, क्या खाते हैं, कैसे मंच, पंडाल, भवन आदि बनाते हैं, इन सबको सभ्यता की संज्ञा दी जाती है।