हाँ, सनक का सकारात्मक रूप भी हो सकता है। प्रायः गाँधी, सुभाष, विवेकानंद, मदन मोहन मालवीय आदि महापुरुष भी सनकी हुए हैं। उन्हें जिस चीज़ की सनक सवार हो जाती है उसे पूरा करके ही छोड़ते थे। कौन नहीं जानता कि गाँधी जी को अहिंसात्मक आंदोलनों की सनक थी। आंदोलन में जरा-सी भी हिंसा हुई तो वे आंदोलन वापस ले लेते थे। विवेकानंद को ईश्वर को जानने की सनक थी। वे जिस किसी संत-महात्मा से मिलते थे, उनसे पूछते-क्या आपने ईश्वर को देखा है। उनकी इसी सनक ने उन्हें ज्ञानी बना दिया। वे रामकृष्ण परमहंस के संपर्क में आ गए। ऐसे अनेक उदाहरण हैं।