नवाब साहब बड़े आराम के साथ पालथी मारकर बैठे। उनके सामने तौलिए पर कुछ ताजे-कच्चे खीरे रखे हैं। वे ऐसे बैठे हैं मानो दिनभर में उन्हें एक यही महत्त्वपूर्ण काम करना है। धीरे-से उन्होंने तौलिए को उठाया, झाड़ा और बिछाया। अब सीट के नीचे से पानी का लोटा उठाया। उस पानी से खिड़की के बाहर करके खीरे धोए। धोए हुए खीरे तौलिए पर रखे। फिर एक खीरे को उठाया। जेब से चाकू निकाला। चाकू से खीरे का सिर काटा। एक सिरे को चाकू से गोदा। उसकी झाग निकाली। फिर बड़ी कलाकारी और कोमलता से खीरे को छीला। तत्पश्चात् उसे काटकर उसकी फाँकें बनाईं। उन्हें एक-एक करके बड़े क्रम से सजाकर तौलिए पर रखा। अब उस पर जीरा-नमक और लाल मिर्च की सुर्ख बुरकी। अब ये खीरे खाने के लिए तैयार थे।