नवाबों के मन में अपनी नवाबी की धाक जमाने की बात रहती है। इसलिए वे सामान्य समाज के तरीकों को ठुकराते हैं तथा नए-नए सूक्ष्म तरीके खोजते हैं, जिससे उनकी अमीरी प्रकट हो। नवाब साहब अकेले में बैठे-बैठे खीरे खाने की तैयारी कर रहे थे। परंतु लेखक को सामने देखकर उन्हें अपनी नवाबी दिखाने का अवसर मिल गया। उन्होंने दुनिया की रीत से हटकर खीरे सँधे और बाहर फेंक दिए। इस प्रकार उन्होंने लेखक के मन पर अपनी अमीरी की धाक जमा दी।