पटना में बाढ़ का पानी भरता जा रहा था तभी बाढ़ देखने की उत्सुक भीड़ में से एक युवक ने कहा कि यहाँ तो सब तमाशा देखने आ गए हैं किंतु जब दानापुर डूब रहा था पटनिया बाबू लोग उसे देखने भी नहीं आए थे। इस कथन के माध्यम से पटना के लोगों की स्वार्थपरता, संकुचित मानसिकता, संवेदनहीनता, आत्म-केंद्रियता पर चोट की गई है। दानापुर जब डूब रहा था तब पटना के लोगों ने वहाँ के लोगों की सहायता नहीं की थी।