माटी वाली जब किसी घर में चाय के समय पर माटी देने पहुँच गई तो घर की मालकिन ने उसे दो रोटियाँ दीं, जिनमें से माटी वाली ने एक खा लिया और दूसरा कपड़े में लपेट दिया। सामने वाले घर से कामिनी नामक लड़की के बुलाने पर जब वहाँ गई तो माटी लाने के लिए उसे दो रोटियाँ और मिल गईं जिन्हें उसने कपड़े में बाँध लिया। घर जाते हुए वह सोच रही थी कि ये रोटियाँ वह अपने बीमार अशक्त बुड्ढे के सामने परोस देगी। वह हद से हद एक या डेढ़ रोटियाँ ही खा सकेगा। बाकी डेढ़ रोटियों से वह अपना काम चला लेगी। उसके द्वारा रोटियों का ऐसा हिसाब लगाया जाना उसकी घोर गरीबी की ओर संकेत करता है कि वह किस तरह दूसरे घरों से मिली रोटियों पर गुजर करने को विवश है।