जीवमण्डल एवं जैव-प्रणालियों में जल की उपादेयता
जल एक अत्यन्त आवश्यक शारीरिक द्रव (vital body fluid) है और जीवन के सभी रूपों के लिए आवश्यक है। हाइड्रोजन आबन्ध (hydrogen bonding) के कारण इसके क्वथनांक (boiling point), हिमांक (freezing point), संलयन ऊष्मा (heat of fusion) और वाष्पन की ऊष्मा (heat of vaporisation) सामान्य मानों से काफी अधिक होते हैं।
जल के असामान्य भौतिक गुण जैव मण्डल में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जल के वाष्पीकरण की उच्च ऊष्मा तथा इसकी ऊष्मा ग्रहण करने की उच्च क्षमता वातावरण पर जल के मृदुल प्रभाव और जीवित प्राणियों के शरीर के ताप नियन्त्रण के लिए उत्तरदायी है।
जल का क्वाथनांक उच्च होने के कारण यह सामान्य ताप पर द्रव अवस्था में रहता है, अन्यथा पृथ्वी पर जल द्रव अवस्था में शेष ही नहीं रहता। जल एक बहुत अच्छा (excellent) विलायक है। कुछ सहसंयोजक कार्बनिक यौगिक जैसे ऐल्कोहॉल और कार्बोहाइड्रेट, जल (H2O) अणुओं के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बनाते हैं जिस कारण ये जल में घुल जाते हैं। अपनी उत्तम विलायक क्षमता के कारण जल पौधों और प्राणियों में होने वाले उपापचयी क्रियाओं के लिए आवश्यक आयनों व अणुओं के परिवहन में सहायता करता है। अतः जल जैव मण्डल और जैविक तन्त्र के लिए अति आवश्यक है।