हमारे शरीर में वसा का पाचन आहार नाल की छुद्रांत्र में होता है। यकृत से निकलनेवाला पित्तरस, जो क्षारीय होता है, आये हुए भोजन के साथ मिलकर उसकी अम्लीयता को निष्क्रिय करके उसे क्षारीय बना देता है। इसी क्षारीय प्रकृति पर ही अग्नाशयिक रस सक्रियता से कार्य करता है । अग्नाशयिक रस में तीन एंजाइम्स होते हैं-ट्रिप्सिन, एमीलोप्सिन तथा लाइपेज।
पित्तरस वसा को सूक्ष्म कणों में तोड़ देता है । इस क्रिया को इमल्सीकरण क्रिया कहते हैं तथा इसे इमल्सीफाइड वसा कहते हैं । लाइपेज एंजाइम इमल्सीफाइड वसा को वसीय अम्ल तथा ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर देता है।