मुगलों ने नवरोज / नौरोज का त्यौहार पारसियों से लिया। मुगल सम्राट अकबर पारसी धर्म में होने वाली सूर्य और अग्नि की पूजा से प्रभावित होकर स्वयं सूर्य की उपासना करता था और तिलक लगाता था। बाद में मुगल सम्राट अकबर ने अपनी धर्म संसद में पारसी धर्म से प्रचलित अग्नि पूजा को सही ठहराया और अपने धर्म में दीन-ए-इलाही का एक अंग बनाया।