मुगल साम्राज्य की राजकीय भाषा फारसी थी। मुगल काल में सभी कार्य फारसी भाषा में ही होते थे। अकबर के आदेश से ही बदायूँनी ने रामायण का फारसी भाषा में अनुवाद किया था। इसमें 4 वर्ष का समय लगा था। इसे हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की हिन्द-ईरानी शाखा की ईरानी भाषाओं की उपशाखा के पश्चिमी विभाग में वर्गीकृत किया जाता है। हालाँकि भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी को ग़लती से अरबी भाषा के समीप समझा जाता है |