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डेनियल सेल से आप क्या समझते है?

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डेनियल सेल एक वैद्युत-रासायनिक सेल है जिसका आविष्कार वर्ष १८३६ में ब्रितानी रसायन विज्ञानी और मौसम विज्ञानी जॉन फ्रेडरिक डेनियल ने किया था।

इसका निर्माण डेनियल ने तांबे के बर्तन (कैथोड के रूप में) में कॉपर सल्फेट CuSO4 (नीला थोथा) का विलयन भरकर किसी मिट्टी के बर्तन में तनु H2SO4 (गंधक का अम्ल) भरकर उसके अन्दर ज़िंक की छड़ (ऐनोड के रूप) रखकर बनाया। इस सैल का विद्युत वाहक बल 1.1 वोल्ट होता है। इसका उपयोग प्रयोगशालाओं में स्थिर वोल्टेज प्राप्त करने के लिए किया जाता हैं।

Zn(s) → Zn2+(aq) + 2e . . (मानक इलेक्ट्रोड विभव −0.7618 V )

धनाग्र (कैथोड) पर कॉपर का अपचयन होता है:

Cu2+(aq) + 2e → Cu(s) . . (मानक इलेक्ट्रोड विभव +0.340 V )

ध्यान दें कि धनात्मक आवेश से युक्त कॉपर आयन धनाग्र की तरफ गति करते हैं।

सम्पूर्ण अभिक्रिया यह है:

Zn(s) + Cu2+(aq) → Zn2+(aq) + Cu(s) . . (खुले परिपथ का वोल्टेज 1.1018 V )

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