मित्र देशों (इंग्लैण्ड, फ्रांस और रूस) ने जर्मनी को प्रथम विश्व युद्ध में पराजित करने के बाद उसे वर्साय सन्धि नामक एक शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए विवश किया। इस सन्धि की शर्ते जर्मनी के लिए अत्यन्त अपमानजनक और कठोर थीं।
कठोर एवं अपमानजनक शर्तें
वार्साय की संधि द्वारा जर्मनी को छिन्न-भिन्न कर दिया गया, उपनिवेश छीन कर आर्थिक रूप से पंगु बना दिया गया, आर्थिक संसाधनों पर दूसरे राष्ट्रों का स्वामित्व स्थापित कर दिया गया और सैनिक दृष्टि से उसे अपंग बना दिया गया।
क्षतिपूर्ति की शर्त अत्यंत कठोर एवं अपमानजनक थी। क्षतिपूर्ति की रकम अदा न करने की स्थिति में जर्मनी के क्षेत्रों पर कब्जा करने की बात की गई। वस्तुतः विजेता राष्ट्र ने प्रतिशोध के तहत कठोर शर्तों को जर्मनी पर लादा।
संधि की शर्ते इतनी कठोर थी कि कोई भी स्वाभिमानी, सुसंस्कृत राष्ट्र इसे सहन नहीं कर सकता था। चर्चिल के शब्दों में “इसकी आर्थिक शर्तें इस हद तक कलंकपूर्ण तथा निर्बुद्ध थी कि उन्होंने ने इसे स्पष्टतया निरर्थक बना दिया।”