in इतिहास
edited
भारत में स्वदेशी आंदोलन पर टिप्पणी लिखिए।

1 Answer

0 votes

edited

भारत में स्वदेशी आंदोलन

लॉर्ड कर्जन ने ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति बढ़ते विरोध को नियंत्रित करने के लिए बंगाल विभाजन का निर्णय किया। बंगाल विभाजन के इस कदम ने भी भारत में स्वेदशी आंदोलन को बढ़ावा दिया। लोगों ने भारत में प्रचलित प्रत्येक प्रकार के विदेशी सामान का विरोध और बहिष्कार करना आरंभ किया। उन्होंने खादी का प्रयोग करना प्रारंभ कर दिया, यद्यपि यह मोटी, महँगी तथा रखरखाव में कठिन होती थी। उन्होंने माचिस एवं सिगरेट आदि सामानों के लिए अपने स्वयं के उद्योग स्थापित कर दिए। खादी का प्रयोग देशभक्ति के लिए कर्तव्य बन गया। महिलाओं ने अपने रेशमी कपड़े व काँच की चूड़ियाँ फेंक दीं और सादी शंख की चूड़ियाँ धारण करने लगीं। खुरदरे घर में बनाए गए कपड़ों को लोकप्रिय बनाने के लिए गीतों एवं कविताओं के माध्यम से इनका गुणगान किया गया। इसकी खामियों के बावजूद स्वदेशी के तजुर्बे ने महात्मा गाँधी को यह महत्त्वपूर्ण सीख अवश्य दी कि ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रतीकात्मक हथियार के रूप में कपड़े की कितनी महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

Related questions

Follow Us

Stay updated via social channels

Twitter Facebook Instagram Pinterest LinkedIn
...