लार ग्रन्थियाँ मुखगुहा में स्रावित होती हैं। इनसे लार स्रावित होती है। जब हम भोजन को चबाते हैं तो लार ग्रन्थियों से लार निकल कर भोजन में मिलती है। लार मिलने से भोजन लुगदीनुमा एवं लसलसा हो जाता है। लार में एक पाचन एन्जाइम भी होता है। इससे भोजन का आंशिक पाचन भी होता है। लसलसे भोजन को निगलना भी आसान हो जाता है।
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