लार ग्रंथि के प्रकार
ये हम जानते हैं कि लार एक तरल तथा चिपचिपे श्लेष्म का मिश्रण है. आकार और कार्यात्मक महत्व के अनुसार यह दो प्रकार की होती हैं: लघु या सहायक लार ग्रन्थियाँ और वृहद या प्रमुख लार ग्रन्थियाँ.
1. लघु या सहायक लार ग्रन्थियाँ (Minor Salivary Gland)
ये होठों, कपोलों (गालों), तालु एवं जीभ पर ढँकी श्लेष्मिका में उपस्थित अनेक छोटी–छोटी सीरमी एवं श्लेष्मिका ग्रन्थियाँ होती हैं जो इन सतहों को गीला करती है. क्या आप जानते हैं कि लगभग 800 या 1000 लघु लार ग्रंथियां पूरे मुंह में स्थित हैं? ये लार को सीधे मुंह में स्रावित करती हैं. अर्थात ये श्लेष्मिका कला को नम बनाए रखने के लिए थोड़ी–थोड़ी मात्रा में सीधे ही लार का स्रावण मुखगुहा में सदैव करती रहती हैं.
2. वृहद या प्रमुख लार ग्रन्थियाँ (Major Salivary Gland)
हमारी मुख गुहिका में लार की अधिकांश मात्रा का स्रावण तीन जोड़ी बड़ी लार ग्रन्थियों के द्वारा होता है। ये मुखगुहिका के बाहर स्थित होती हैं और अपनी वाहिकाओं द्वारा स्रावित लार को मुखगुहिका में मुक्त करती हैं। ये ग्रन्थियाँ बहुकोशिकीय तथा पिण्डकीय होती हैं और जबड़े के दोनों किनारों पर सममित रूप से स्थित हैं. ये निम्नलिखित हैं: अधोजिह्वा सबलिंगुअल लार ग्रंथि, अधोहनु या सबमैक्सिलरी या सबमैण्डीबुलर लार ग्रंथि और कर्णमूल या पैरोटिड लार ग्रंथि.