पौधों में श्वसन
गैसों का आदान-प्रदान शरीर की सतह द्वारा विसरण (Diffusion) क्रिया से होता है। इसके लिए ऑक्सीजन युक्त वायुवायुमंडल से पतियों के रंध्रों (stornatas), पुराने वृक्षों के तनों की कड़ी त्वचा (bark) पर स्थित वातरंध्रों (Lenticels) और अंतर कोशिकीय स्थानों (Intercellular spaces) द्वारा पौधों में प्रवेश करती है। पौधों की जड़ें मृदा के कणों के बीच के स्थानों में स्थित हवा से ऑक्सीजन ग्रहण करती है। जड़ों से निकले मूल रोम (Root hairs) जो एपिडर्मल कोशिकाओं से विकसित होती है, मिट्टी के कणों के बीच फैली रहती है। इन्हीं मूल रोमों की सहायता से जड़ें ऑक्सीजन ग्रहण करती हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड बाहर छोड़ देते हैं। पुरानी जड़ों में ऐसे मूल रोमों का अभाव होता है। ऐसे जड़ों में तने की कड़ी त्वचा की तरह वातरंध्र (Lenticels) पाये जाते हैं। इन्हीं वातरंध्रों के माध्यम से श्वसन गैसों का आदान-प्रदान होता है। इसी कारण से पौधों की जड़ों में लम्बे अवधि तक जल जमाव होने से पौधा मर जाता है। जलीय पौधे भी विसरण क्रिया द्वारा जल से ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं एवं श्वसन क्रिया के पश्चात् CO2 गैस मुक्त करते हैं। पौधों में गैसों के विनिमय की क्रिया-विधि बहुत ही सरल है। पौधों में गैसों के आदान-प्रदान (विसरण) की दिशा इनकी आवश्यकताओं तथा पर्यावरणीय अवस्थाओं पर निर्भर करती है। दिन में श्वसन से निकली CO2 गैस का उपयोग पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में करते हैं। अतः CO2 गैस की जगह ऑक्सीजन रंध्रों से निकलती है। रात्रि में चूंकि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया सम्पन्न नहीं होती है, अतः श्वसन से CO2 गैस रंध्रों से बाहर निकलती है।
पौधों में श्वसन की क्रिया जन्तुओं के श्वसन से भिन्न होती है।
- पौधों के प्रत्येक भाग अर्थात् जड़, तना एवं पत्तियों में अलग-अलग श्वसन होता है।
- जन्तुओं की तरह पौधों में श्वसन गैसों का परिवहन नहीं होता है।
- पौधों में जन्तुओं की अपेक्षा श्वसन की गति धीमी होती है।
श्वसन गुणांक (Respiratory Quotient): श्वसन क्रिया में निकली हुई CO2 तथा अवशोषित CO2, के अनुपात को श्वसन गुणांक (RQ) कहते हैं।
श्वसन गुणांक (RQ) = निष्कासित CO2 का आयतन/अवशोषित O2 का आयतन
शर्करा के लिए श्वसन गुणांक का मान 1 होता है। वसा या प्रोटीन के लिए श्वसन गुणांक का मान 1 से कम होता है। श्वसन गुणांक (RQ) का मापन गैनोंग श्वसनमापी (Ganong’s respirometer) द्वारा किया जाता है।
श्वसन क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक: श्वसन क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
- कार्बन डाइऑक्साइड: प्रकृति में CO2 की मात्रा बढ़ने पर श्वसन दर कम हो जाती है।
- प्रकाश (Light): प्रकाश की उपस्थिति में श्वसन दर बढ़ जाती है।
- ऑक्सीजन (O2): ऑक्सीजन के मात्रा के घटने अथवा बढ़ने पर श्वसन दर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है जब तक ऑक्सीजन की मात्रा 19% से ऊपर हो।
- तापक्रम (Temperature): 0°C से 30°C तक ताप बढ़ने पर श्वसन दर लगातार बढ़ती रहती है।