पौधों में जनन की विधियाँ
1. अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction) – यह जनन का एक सामान्य प्रकार है जिसमें केवल एक ही जीव या जनक (Parents) भाग लेता है। इस विधि में वयस्क बनने के बाद जीव अपनी हूबहू प्रतिलिपियों (identical copies) के रूप में सन्ततियाँ उत्पन्न करता है। अतः जनक तथा सन्ततियों के बीच आनुवंशिक पदार्थ एवं लक्षणों में कोई अन्तर नहीं होता है। इसीलिए अलैंगिक जनन के फलस्वरूप उत्पन्न सन्ततियों को क्लोन (clone) कहते हैं। ऐसा जनन अपेक्षाकृत तीव्र दर से होता है। इसके लिए शरीर में कोई विशिष्ट ऊतक या अंग नहीं होते।
2. लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) – लैंगिक जनन की प्रक्रिया जटिल होती है। इसके लिए शरीर में विशेष प्रकार के जननांग (reproductive organs) होते हैं। शरीर की सामान्य दैहिक कोशिकाओं (somatic cells) से भिन्न प्रकार की दो अगुणित (haploid = n) कोशिकाओं का संयुग्मन लैंगिक जनन की आधारभूत प्रक्रिया होती है। इन अगुणित कोशिकाओं को लैंगिक कोशिकाएँ (sex cells) या युग्मक (gamets) कहते हैं। शरीर की दैहिक कोशिकाएँ द्विगुणित (diploid) होती हैं। लैंगिक कोशिकाएँ प्रमुख जननांगों अर्थात् जनदों (gonads) की जनन कोशिकाओं (germ cells) में विशेष प्रकार के अर्धसूत्री या मीयोटिक विभाजन (reductional or meiotic division) से बनती हैं। इनके बनने की इस प्रक्रिया को युग्मकजनन (gametogenesis) कहते हैं।
संयुग्मन में भाग लेने वाली दो लैंगिक कोशिकाएँ भिन्न प्रकार की होती हैं – एक नर युग्मक कोशिका तथा दूसरी मादा युग्मक कोशिका इनके संयुग्मन से बनी द्विगुणित कोशिका को युग्मनज अर्थात् जाइगोट (zygote) कहते हैं। इसी से नई सन्तान का प्रारम्भ होता है। जनन कोशिकाओं के अर्धसूत्री विभाजन द्वारा बनी युग्मक कोशिकाओं में जनन कोशिकाओं के जोड़ीदार अर्थात् समजात गुणसूत्रों (homologous chromosomes) का बँटवारा अनियमित एवं संयोगिक (random) होता है। फिर युग्मनजों (zygotes) के बनने में नर व मादा युग्मक का संयुग्मन भी संयोगिक होता है। इसके कारण युग्मनजों के जीन प्रारूप (genotypes) जनन कोशिकाओं के जीन प्रारूपों से कुछ भिन्न होते हैं। इसी कारण लैंगिक जनन के फलस्वरूप बनी सन्तति माता-पिता से थोड़ी भिन्न दिखाई देती है।