कोशिकीय श्वसन
भोज्य पदार्थों को विखण्डित कर उनसे रासायनिक ऊर्जा को, उपयोग के लिए, विमुक्त करने वाली अपंचयिक (catabolic) व पूर्णतः नियन्त्रित (controlled) क्रिया श्वसन (respiration) कहलाती है।”
सामान्यत: सभी जन्तुओं में भोज्य पदार्थों में उपस्थित, रासायनिक ऊर्जा धीरे-धीरे एक श्रृंखला में होने वाली अभिक्रियाओं (reactions) के द्वारा स्वतन्त्र की जाती है। अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पदार्थ, ऐडीनोसीन डाइफॉस्फेट या ए०डी०पी० (adenosine diphosphate or ADP) स्वतन्त्र की गयी इस ऊर्जा को अपने साथ जोड़कर एक अस्थायी यौगिक ऐडीनोसीन ट्राइफॉस्फेट या ए०टी०पी० (adenosine triphosphate or ATP) का निर्माण कर लेता है। ए०टी०पी० को किसी भी स्थान या उसी या अन्य किसी कोशिका में ऊर्जा के लिए उपयोग में लाया जा सकता है और फिर से ए०डी०पी० प्राप्त हो जाता है। जीवित कोशिका (living cell) में इस प्रकार की क्रिया अत्यन्त नियन्त्रित विधियों से विशेष व्यवस्था के अन्तर्गत, अनेक एन्जाइम, सहएन्जाइम एवं अन्य पदार्थों एवं तन्त्रों (systems) के अन्तर्गत की जाती है। यही नहीं, क्रियाओं के फलस्वरूप जो गतिज ऊर्जा (kinetic energy) निष्कासित होती है उसके अधिकांश भाग को विशेष पदार्थ ए०टी०पी० (ATP) में इस प्रकार संचित किया जाता है
कि उपयोग की आवश्यकता के समय यह तुरन्त अपघटित होकर ऊर्जा को उपलब्ध करा देता है और स्वयं ऊर्जा उत्पादन के स्थान पर ए०डी०पी० (ADP) के रूप में पहुँचकर नयी ऊर्जा ग्रहण करता है अर्थात् उसका कुछ बिगड़ता भी नहीं। बस, यही समस्त क्रियाएँ अर्थात् खाद्य पदार्थ के ऑक्सीकरण से लेकर उपभोग के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराने की नियन्त्रित क्रियाओं को हम श्वसन (respiration) कहते हैं।