कीटों में श्वास क्रियाविधि
कीटों में श्वसन हेतु ट्रैकिंया (trachea) पाए जाते हैं। कीटों के शरीर में ट्रैकिया का जाल फैला होता है। ट्रैकियो पारदर्शी, शाखामय, चमकीली नलिकाएँ होती हैं। ये श्वास रन्ध्रों (spiracles) द्वारा वायुमण्डल से सम्बन्धित रहती हैं। श्वास रन्ध्र छोटे वेश्म (atrium) में खुलते हैं। श्वास रन्ध्रों पर रोमाभ सदृश शूक तथा कपाट पाए जाते हैं। कुछ श्वास रन्ध्र सदैव खुले रहते हैं। शेष अन्तःश्वसन (inspiration) के समय खुलते हैं और उच्छ्व सन (expiration) के समय बन्द रहते हैं।
ट्रैकियल वेश्म (atrium) से शाखाएँ निकलकर एक पृष्ठ तथा अधर तल पर ‘ट्रैकिया का जाल बना लेती हैं। ट्रैकिया से निकलने वाली ट्रैकिओल्स (tracheoles) ऊतक या कोशिकाओं तक पहुँचती हैं। कीटों में गैसों का विनिमय बहुत ही प्रभावशाली होता है और O2 सीधे कोशिकाओं तक पहुँचती है। इसी कारण कीट सर्वाधिक क्रियाशील होते हैं।